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तुम जा रही हो!!!
अपने केरियर को एक नया रंग देने के लिये।
तुम्हारी प्रगति से सब खुश हो रहे हैं।
अभी एक साल पहले ही तो तुम ने एक कॉलेज में अपनी सर्विस शुरु की थी। अच्छी तन्ख्वाह भी मिल रही थी।
यहाँ तक की मम्मी-पापा और भैया के साथ रहने को मिल रहा था। पिछले पाँच साल से तुम अपनी पढाइ के लिये अपने परिवार से एक हज़ार किमी. की दूरी पर दिल्ही में पढ रही थी।
पढाइ पूरी होते ही तुम्हें एक अच्छी कॉलेज में सर्विस का ओर्डेर भी मिल जाने से सारा परिवार ख़ुश हो गया। एक ख़ानदानी परिवार के लडके से तुम्हारी राय लेकर मम्मी-पापा ने रिश्ता भी तय कर रख़ा है।
ससुरालवाले भी तुम्हारी पढाइ से काफ़ी खुश हैं। तुम्हारी कुछ ही महिनों में शादी तय हुइ और बस ये आगे पढाइ के लिये जाना पड रहा है।
तुम असंमजस में हो। एक तरफ़ अपना परिवार छोडकर जा रही हो। एक तरफ़ तुम्हारी अपनी केरियर भी है। तुम्हें पता है कि अब जब तुम लौटकर आओगी तुम्हारा ब्याह हो जायेगा।
तुम कल रात छूप-छूपकर रो रही थी वो ताक़ि तुम्हारे मम्मी-पापा कि कहीं नज़र न पड जाये। पर तुम्हारी आँख़ें साफ बता रही थी कि तुम कल रात बहोत रोई हो।
“बेटी” क्या मां-बाप अपनी बेटी का दर्द नहिं समज़ते ?
तुम्हें क्या पता इधर तुम्हारी मम्मी-पापा और भैया भी बेचेन हैं अपनी लाडली को दूर भेजने से,
पर क्या करें…? अपनी प्यारी बेटी की ज़िन्दगी सँवर जाए इसी में तो ख़ुशी है। उनकी दुआ तो अपनी लाडली के साथ हँमेशां रहेगी ही।
“बुलबुल” के जोडे ने अपने घरोंदे से बच्चे को धक्का दे दिया मानों कह रहे थे ‘अब अपनें पँख पर ऊडने लगो’ पर बच्चा मानता ही नहिं बारबार लौटकर उसी पेड़ की टहनी पर तो कभी घर की ख़िडकी के ईर्द-गिर्द मंडराया करता है।
‘बुलबुल’ का जोडा देख रहा है अपने बच्चे को।
“मम्मी” गहरे ख़यालों में ख़ोई हुइ है।
कल दोपहर बारह बजे तुम्हारी फ़्लाइट है। तुम भी उड जाओगी ऊंची उडानें भरने के लिये।
“बेटी” माँ-बाप की दुआएँ तुम्हारे साथ हैं।
ये कहानी नहिं वास्तविकता है।
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