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तलाश …!!!!!!!आसमाँ की…अमन की…..कारवाँ की

मेरी आवाज सुनो
मेरी आवाज सुनो
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मेरे पंख  मुझसे  न छीनलो,

मुझे आसमॉ की तलाश है।

मैं हवा हूँ मुझको न बॉधलो ,

मुझे ये समॉ की तलाश है।

मुझे माल ओ ज़र की ज़रुर क्या?

मुझे तख़्तो-ताज न चाहिये !

जो जगह पे मुझ को सुक़ुं मिले,

मुझे वो जहाँ की तलाश है।

मैं तो फ़ूल हूं एक बाग़ का।

मुझे शाख़ पे बस छोड दो।

में खिला अभी-अभी तो हूं।

मुझे ग़ुलसीतॉ की तलाश है।

न हो भेद भाषा या धर्म के।

न हो ऊंच-नीच या करम के।

जो समझ सके मेरे शब्द को।

वही हम-ज़बॉ की तलाश है।

जो अमन का हो, जो हो चैन का।

जहॉ राग_द्वेष, घृणा न हो।

पैगाम दे हमें प्यार का ।

वही कारवॉ की तलाश है।

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