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देख़ो !!! सच कहता दर्पण है….

मेरी आवाज सुनो
मेरी आवाज सुनो
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जाने कैसा ये बंधन है?

उजला तन और मैला मन है।

एक हाथ से दान वो देता।

दूजे से कंइ जानें लेता।

रहता बन के दोस्त सभी का।

पर ये तो उनका दुश्मन है।

इन्सानो के भेष में रहता।

शैतानों से काम वो करता।

बन के रहता देव सभी का।

पर ना ये दानव से कम है।

चाहे कितने भेष बनाये।

चाहे कितने भेद छुपाये।

”राज़” उसके चेहरे में क्या है?

देखो सच कहता दर्पण है।

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