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……हमारे छूट जाते हैं…..

मेरी आवाज सुनो
मेरी आवाज सुनो
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बूरा जब वक़्त आता है, सहारे छूट जाते हैं।
जो हमदम बनते थे हरदम, वो सारे छूट जातेहै।

बड़ा दावा करें हम तैरने का जो समंदर से,
फ़सेँ जब हम भँवर में तो, किनारे छूट जाते है।

जो चंदा को ग्रहण लग जाये, सूरज साथ छोडे तो,
वो ज़गमग आसमाँ के भी सितारे छूट जाते है।

जिन्हें पैदा किया, पाला, बडे ही चाव से हमने।
जवानी की उडानों में, दूलारे छूट जाते है।

जो दिल में दर्द हो ग़र्दीश में जीवन आ गया हो तब,
कभी लगते थे वो सुंदर, नज़ारे छूट जाते है।

जो दौलत हाथ में हो तब, पतंगा बन के वो घूमे,
चली जाये जो दौलत तो वो प्यारे छूट जाते है।

मुसीबत में ही तेरे काम कोइ आये ना ‘रज़िया”
यकीनन दिल से अपने ही हमारे छूट जाते है

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