Menu
blogid : 1412 postid : 232

जाने कहाँ से आया था महेमान बन के वो……

मेरी आवाज सुनो
मेरी आवाज सुनो
  • 88 Posts
  • 716 Comments

12

जाने कहाँ से आया था महेमान बन के वो।

रहने लगा था दिल में भी पहचान बनके वो।

वो आया जैसे मेरा मुकद्दर सँवर गया।

मेरा तो रंग रुप ही मानो निख़र गया।

करने लगा था राज भी सुलतान बन के वो।

वो जानता था उसकी दीवानी हुं बन गई।

उसके क़्दम से मानो सयानी सी बन गई।

ख़्वाबों में जैसे छाया था अरमान बनके वो।

हरवक़्त बातें करने की आदत सी पड गई।

उस के लिये तो सारे जहां से मैं लड गई।

एक दिन कहाँ चला गया अन्जान बनके वो।

कहते हैं “राज़” प्यार, वफ़ा का है दुजा नाम।

इस पे तो जान देते हैं आशिक वही तमाम।

उस रासते चला है जो परवान बन के वो।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply to NikhilCancel reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh