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…. तैयार सिपाही हो जा।

मेरी आवाज सुनो
मेरी आवाज सुनो
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TIRANGA

सरहद ने दी आवाज़,

तैयार सिपाही हो जा।

दुश्मन ना आया बाज़ ‘

तैयार सिपाही हो जा।

है ऑधी चली उधर से, ये धुंधला हुआ समॉ है।

ये फिज़ाओं में डर कैसा? ये सुर्ख़ आसमॉ क्यों है?

आफत का है आग़ाज़ !… तैयार सिपाही हो जा।

माथे पे लगाके टीका,मॉ-बाप की आशिष ले ले,

बच्चों को उठाके गोदी, कुछ प्यार दे थोड़ा ले ले।

पत्नी को बतादे राज़,… तैयार सिपाही हो जा।

बहना से बंधवा राख़ी,वो रहना जाये बाक़ी।

यारों से करले मस्ती, फिर मिले ना ऐसी बस्ती।

ये गॉव ना हो नाराज़!… तैयार सिपाही हो जा।

तेरी चाल में शान हो ऐसी ,एक वीर सिपाही जैसी!

तेरी ऑख में गरमी ऐसी, एक वीर सिपाही जैसी!

वाह! क्या तेरा अंदाज़!… तैयार सिपाही हो जा।

वर्दी को बदन पे अपनी, तू कफ़न समझकर पहन ले।

भारत के वीर सिपाही, ये वतन का जतन करले।

और हो जा तू परवाज़!… तैयार सिपाही हो जा।

मेरे लाख़ प्रणाम वो मॉ पर, तुझे जिसने जनम दीया है।

मेरे लाख़ प्रणाम पिता पर ,तेरा जिसने जतन किया है।

तुझ पे है बड़ा हमें नाज़!… तैयार सिपाही हो जा।

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