मेरी आवाज सुनो
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तेरी गवाही हमें आनेवाले एक नये दिन का संदेश देती है।
तेरी गवाही के लिये हमलोग तुझे ढूंढते रहते हैं आसमान में।
पर तूं है कि …….छूप जाता है कभी बादलों में। कभी पेडों के पीछे,
हर नये महिने की शुरुआत, तेरी गवाही के बिना मंज़ूर नहिं।
आज भी इंतेज़ार है रोज़दारों को तेरी गवाही का।
कि तूं आज आसमान में नज़र आयेगा।
और एक महिने के रोज़दार , एक महिने की “ईबादत“के बाद….
तेरी गवाही के बाद कल “ईद“ मनायेंगे।
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