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“क्षितिज के उस पार या इस पार???”भाग- 3

मेरी आवाज सुनो
मेरी आवाज सुनो
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“श्री योगक्षेम मानव संस्थान मानव अधिकार” के कार्यकर्ता कुछ वकीलों के साथ यहाँ आनेवाले थे| जिन बंदिओं के वकील नहीं हैं उन्हें काय्दाकीय मदद करनेके लिए आ  रहे थे| जो बंदी ६० साल के ऊपर के है उनके नाम लिखे जा रहे थे शायद सरकार या सुप्रीम कोर्ट से उन लोगों की रिहाई की अपील की जानी थी|” मंजू माँ “अपने बोखे मुंह से मेरी और देखकर मुस्कुरा रही थी|

बच्चों की किलकारियां गूंज उठीं| बंदी महिलाएं अपनी साड़ियों को ठीक करने लग गयी| और वो लोग आ गए| एक के बाद एक के नाम बोले गए | सभी कुछ “उम्मीदों ‘ के साथ अपने अपने नाम लिखवाने लगे|
     आज “फिजा”, बाबू” और सभी बच्चे खुश है क्यों की उन्हें इस बड़े “दरवाज़े’ के उस पार की दुनिया देखना है| पता नहीं सर्कस किसे कहते है| “हाँ’ ये पता है की आज बिल्ली और बन्दर के अलावा कोइ और भी  पशु/ पक्षी  देखने को मिलेंगे | आज बच्चों को संस्थान तरफ से तरहां तरहां के खिलौने और पेन,किताबें,टोपी और कपडे मिले हैं|

१४ साल यहीं कटने वाले हैं ये उन्हों ने स्वीकार भी कर लिया है|

“बाबरी मस्जिद या रामजन्मभूमि” के विवाद से मतलब है या इलेक्शन के परिणाम से मतलब !!!

“सीता” अंग्रेजी सीख रही है| कहती है जब बाहर जाउंगी तो फटाफट अंग्रेजी बोलकर सब को चोंका दूंगी| पर उसे ये नहीं पता की हर महीने सरकारी अस्पताल में जो इंजेक्शन लेने जाना पड़ता है वो “कीमोथेरेपी” है| और अभी उसकी बीमारी चौथे स्टेज पर है|
 “मधु” को एक अजीब इन्फेक्शन उसके पतिने दिया है| वो तो भगवान के पास चला  गया पर उसे HIV देकर चला गया|  अब उसे भी cd4 count के लिए हर बार अस्पताल ले जाया जाता है|

अजीब दुनिया है ये!!!!

पर इतना ज़रूर कहूँगी यहाँ न तो उंच-नीच के भेद है ना तो धर्मो के भेद है और ना ही प्रान्तों के भेद यहाँ तो सारा के सारा भारत बसा है| यहाँ हर त्यौहार बड़े ही चाव से मनाया जाता है | चाहे गणेशचतुर्थी हो या नवरात्री| या गरबा या रमजान !!!!
यहाँ सम्पूर्ण भारत दर्शन होता है|

पर दर्दो-गम के बीच|

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