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मुझे मेरा “वतन” बहोत………..याद आ रहा है|

मेरी आवाज सुनो
मेरी आवाज सुनो
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kaba

 

“मक्का “हूँ जो की अल्लाह का घर है  जिसे कहते है “खान-ए-काबा” |

 यहाँ सारी दुनिया के लोग हज के अरकान पूरा करने आते हैं| 

सारा के सारा पाक माहोल नज़र आता है|
 

मैं यहाँ अपने वतन से दूर अल्लाह के घर आई हूँ|

अपनी माटी से दूर रहकर अपने वतन की जुदाई क्या होती है मैंने ये महसूस किया है|

मै दिल से अपने रिश्तेदारों के साथ साथ अपने प्यारे वतन की दुआ करती हूँ|

भाईचारा-शान्ति बनी रहे “|

 “अल्लाह सभी को नेक तौफीक दे और भटके हुओं को सही राह दिखाए ऐसी दुआ करती हूँ|

 सारी दुनिया से आतंकवाद का साया दूर हो और  शान्ति बनी रहे|
     

“जागरण” ही सही प्लेटफोर्म है जो हमारी आवाजों को सभी तक बहोत आसानी से पहोचाता है|

जो लोग इस्लाम को बदनाम कर रहे है जो ज़रा आकर यहाँ का नज़ारा तो देखें की “इस्लाम” किसे कहते है?

“अल्लाह” ने कभी ये नहीं कहा की बन्दूक की नोक पर इस्लाम को बदनाम करो यहाँ सभी लोग खामोशी से अपनी अपनी दुआ और

नमाजो में मशगुल होते है|


  पर हाँ | एक बात ज़रूर कहूँगी मुझे मेरा “वतन” बहोत………..याद आ रहा है|
    

हमवतन  मिलता है  मै बड़ी खुश हो जाती हूँ|
     

“जागरण” पर आकर बैठ गयी हूँ|

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