मेरी आवाज सुनो
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अपने मतलब के लिए या कुछ थोड़ी बहोत खुशी याने अपने कुछ स्वार्थ के लिए आदमी इतना तो मतलबी और स्वार्थी हो जाता है तब वो ये भूल जाता है की किसी की उम्मीद उस पर निगाहें लगाए बैठी है| जो उसकी वफादारी,विश्वास नहीं खरीद सकते |
इंसान अपनी बेवफाई को शायद अपनों से छुपा सकता है| वो एक बार तो उपरवाले की भी देखी -अनदेखी कर सकता है पर अपने आपको कभी माफ़ नहीं कर सकता |चाहे वो हमारे ईमान से हो या वतन से ,चाहे अपनों से हो या परायों से | वफादारी नाम ही ऐसा है जो हमारे लहू के साथ साथ हमारे जमीर से भी जुडा होता है|
हमें कोइ हक नहीं है की हम किसी से बेवफाई कi खेल खेलें या किसी की भावनाओं को छेड़ें|
क्यों की हमारी थोड़ी सी बेवफाई हमें जिन्दगी भर का दाग़ दे जाती हैं|
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