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J रह गये हैं?
JAIL और दुसरा J.J.blog|
शाम को थका हारा काम से घर आता हूं तो आज हमारी JAIL में ये हुआ वो हुआ।
J.J.blog पर मैंने ये लिखा वो लिखा!!!
दूसरी कोई बात ही नहिं है तूम्हारी ज़बान पर….
ना तो ढंग से घर का काम करती हो ना बाहर का।
पहले तो जब मै घर आता था तब चाय-पानी का भी पूछ लेती थी और अब!!!!
रोटी भी जला देती हो और सब्ज़ी भी कच्ची बनाती हो।
पहले तो क्या क्या व्यंजन घर में बनते थे!!!वाह!!!!
वेढमी,पूरणपोळी,खमण,ढोकळा और ना जाने क्या क्या!!!
रात को कभी आँख खुल जाती है तो तूम्हें कोम्प्युटर पर J.J.blog पर ही देखता हूं।
तूम्हारी तो जैसे दिन का चैन रातों की नींद ग़ायब है।
अब तो मुझे भी कविता लिखने को दिल करता है।
J.J.blog
J.J.blog
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J.J.blog
Valentine day तक वीश नहिं किया।
ब्लोग पर तो हमारे प्यार की बडी बडी बातें लिखती हो पर है क्या?
तूम्हें आज मेरे एक सवाल का जवाब देना ही है कि…
J.J.blog?
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