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…और तुमने अपने सर इल्ज़ाम ले लिया ये सोचकर की मेरे बच्चे बीवी रास्ते पर आ जायेंगे।
अपने दु:खों को कभी दुनिया के सामने लाई नहिं तुम।
एकबार अचानक मेरा तुम्हारे घर में आना यही कारन बना तुम्हारी मेरी जुदाई का।
वो बहोत पीकर आया था। तुम से मंगलसुत्र मांग रहा था शायद बेचने के लिये।
तुम मना कर रही थी।
या कहो अपने मंगलसुत्र को बचाने की कोशिश कर रही थी।
उसने बहोत शराब पी रख्खी थी। उसके हाथ में तुम्हारा मंगलसुत्र था,उसने तुम्हें ज़ोर का धक्का दिया।
..पर अफ़सोस वो गीर गया ज़मीन पर ,
पर वो टकराया एक दिवार से ,
..और वहीं दम तोड दिया उसने।
मुझे भगा दिया तुमने ये सोचकर की कहीं मैं फ़ँस न जाउं कोई इल्ज़ाम में..
तुम पर इल्ज़ाम लग गया अपने पति के ख़ून का..जो तुमने किया ही न था।
कारागार में..
“राखी” बंधवाने।
“मेरी बहना”
जो काम मुझे करना था..तुम कर गई।
‘मेरी प्यारी बहना’
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